कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग और स्वचालन तकनीक ने दुनिया के हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है। लेकिन वही तकनीक मानव समाज के सामने एक नया और अत्यंत गंभीर संकट भी पैदा कर रही है—“नौकरी छिनने और वैश्विक बेरोजगारी का खतरा।” यह समस्या धीरे-धीरे नहीं, बल्कि तेज़ी से बढ़ रही है। विश्व बैंक, IMF, ILO तथा ओईसीडी जैसी संस्थाएँ लगातार चेतावनी दे रही हैं कि अगले 10–15 वर्षों में दुनिया की लगभग 40% नौकरियाँ पूरी तरह स्वचालित हो सकती हैं। यह केवल आर्थिक संकट नहीं, बल्कि सामाजिक अस्थिरता की शुरुआत है।AI आधुनिक समय में मानव श्रम का सबसे बड़ा प्रतिस्थापन बन चुका है। कंपनियाँ अब उत्पादन, सर्विस डिलीवरी, डेटा विश्लेषण, लेखा-जोखा, सुरक्षा, ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में मनुष्यों के स्थान पर मशीनों का उपयोग कर रही हैं। स्वचालन की यह तेज़ लहर विशेष रूप से निम्न और मध्यम कौशल वाले कर्मचारियों को प्रभावित कर रही है। जहाँ एक रोबोट 24 घंटे काम कर सकता है, छुट्टी नहीं लेता, बीमार नहीं पड़ता और एक बार निवेश के बाद सस्ता पड़ता है—वहाँ कंपनियाँ स्वाभाविक रूप से मनुष्यों की जगह मशीनों को चुन रही हैं।AI आधारित चैटबॉट, वर्चुअल असिस्टेंट, ऑटोमेटेड कॉल सेंटर, सेल्फ-चेकआउट मशीनें, ड्राइवरलेस वाहन, रोबोटिक वेल्डिंग, स्वचालित गोडाउन और AI डॉक्यूमेंट प्रोसेसिंग सिस्टम—यह सब मिलकर लाखों नौकरियों को समाप्त कर रहे हैं। लैब में बने रोबोट अब खाना परोस रहे हैं, गाड़ियाँ असेंबल कर रहे हैं, सर्जरी में सहायता कर रहे हैं और खेती में बीज बो रहे हैं। इसका सीधा अर्थ है कि आने वाले वर्षों में मानव श्रम की मांग और कम होगी।समस्या केवल नौकरी छिनने की नहीं है, बल्कि वेतन में असमानता की भी है। स्वचालन के कारण कंपनियों को कम मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ती है। इससे नौकरियों के अवसर घटते हैं और बचे हुए कर्मचारियों पर कार्यभार बढ़ जाता है। मध्यम वर्ग की आय रुक जाती है और आर्थिक असमानता अमीर और गरीब के बीच और बढ़ जाती है। तकनीकी कंपनियों के मालिक अभूतपूर्व धन कमा रहे हैं, जबकि समानांतर रूप से श्रमिक वर्ग तेजी से गरीबी की ओर धकेला जा रहा है।AI का प्रभाव केवल उद्योगों पर नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, परिवहन, पत्रकारिता, कानून, सैन्य, कृषि और प्रशासन जैसे सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से दिखाई दे रहा है। उदाहरण के लिए—खबरें लिखने के लिए अब AI आधारित न्यूज़ राइटर उपयोग हो रहे हैं। डेटा एंट्री और अकाउंटिंग के कार्य लगभग पूरी तरह स्वचालित हो चुके हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में AI आधारित डायग्नोस्टिक सिस्टम डॉक्टरों से भी तेज़ और सटीक परिणाम दे रहे हैं। ये तकनीकें मानव क्षमताओं को चुनौती दे रही हैं।स्वचालन से सबसे अधिक खतरा विकासशील और गरीब देशों को है, जहाँ रोजगार का आधार मुख्यतः मैनुअल लेबर, छोटे उद्योग और कृषि पर निर्भर है। यदि AI वहाँ की नौकरियों को समाप्त करता है, तो लाखों परिवार प्रभावित होंगे। गरीबी, भुखमरी, अपराध, दंगे, सामाजिक अस्थिरता और राजनीतिक असंतोष बढ़ेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शरणार्थियों की संख्या बढ़ सकती है।AI के कारण उत्पन्न आर्थिक असमानता का दूसरा पहलू यह है कि अमीर देशों में उच्च कौशल वाली नौकरियाँ बढ़ेंगी और गरीब देशों के लिए अवसर घटेंगे। इससे वैश्विक स्तर पर आर्थिक विभाजन और भी कठोर हो जाएगा।संक्षेप में, AI और स्वचालन मानव सभ्यता के लिए अवसर भी हैं और सबसे बड़े खतरे भी। यह तकनीक दुनिया को विकसित भी कर सकती है और मानव श्रम को अप्रासंगिक भी बना सकती है। इस चुनौती को समझना और इससे निपटने के लिए समय रहते ठोस कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। अगर इस समस्या को अनदेखा किया गया, तो आने वाले दशक में दुनिया “तकनीकी बेरोजगारी” का ग्रह-स्तरीय संकट झेलेगी।
