CIVI NATION


 📜 CIVI NATION – राष्ट्रीय घोषणा-पत्र

प्रकृति • शिक्षा • इलाज • रोजगार • महिला सुरक्षा

सरकार का कर्तव्य – नागरिक का कर्तव्य


🌏 1. प्रस्तावना (Preamble)

आज मानव सभ्यता एक गंभीर संकट से गुजर रही है।

 प्रकृति का विनाश, पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ,

 अस्वस्थ भोजन, बेरोजगारी, अशिक्षा, बीमारी और महिलाओं पर बढ़ते अपराध

 हमारे अस्तित्व और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को खतरे में डाल चुके हैं।हम सभी का दुर्भाग्य है कि जिस सरकार को हमने चुना वह भी पर्यावरण की तरफ ध्यान नहीं दे रही है अब हम सबको मिलकर ही इन समस्याओं का समाधान करना होगा और सरकार पर दबाव बनाना होगा कि सरकार इन समस्याओं की तरफ ध्यान दें और कड़े नियम बनाए ।

Civi Nation एक राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन है,

 जो यह मानता है कि अब केवल सरकार पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है।

 अब जनता को संगठित होकर, संवैधानिक और अहिंसक तरीके से

 सरकार को उसके कर्तव्यों की याद दिलानी होगी।

🌱 2. प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण

हम मानते हैं कि प्रकृति के बिना जीवन असंभव है।

हमारी स्पष्ट माँगें और संकल्प :

आज हम सभी मनुष्यों का जीवन खतरे में है, क्योंकि प्रकृति लगातार नष्ट हो रही है।

आज भारत में पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग तथा प्राकृतिक आपदाओं का खतरा अत्यधिक बढ़ गया है।

यह हम सभी का दुर्भाग्य है कि जिस सरकार को हमने चुना है, वह पर्यावरण की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही है। अब इन समस्याओं का समाधान हम सभी को मिलकर ही करना होगा और सरकार पर दबाव बनाना होगा, ताकि वह पर्यावरण की रक्षा के लिए कड़े नियम बनाए।

यदि हमने मिलकर प्रकृति का संरक्षण नहीं किया, तो न केवल हमारा जीवन खतरे में होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी संकट में पड़ जाएगा।

हम सभी को प्लास्टिक का उपयोग पूर्ण रूप से बंद कर देना चाहिए तथा प्लास्टिक में आने वाली सभी वस्तुओं का उपयोग त्याग देना चाहिए।

हमें हर उस वस्तु का उपयोग बंद करना होगा, जिससे प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है।

किसी भी वस्तु को खरीदने से पहले यह जानकारी रखना आवश्यक होगा कि उस वस्तु से पर्यावरण को कोई क्षति तो नहीं पहुँच रही है और वह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी उपयोगी है।

हम सभी को मिलकर अवैध खनन को रोकना होगा।

कृषि में बढ़ते रसायनों के उपयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना होगा, तभी हम स्वस्थ रह पाएँगे।

हमें खाने के लिए अनाज चाहिए, ज़हर नहीं। आज हम अनाज कम और ज़हर अधिक खा रहे हैं।

आज खाने की लगभग हर वस्तु में ज़हर मिला हुआ है। इन सभी खाद्य पदार्थों में रसायनों के उपयोग को रोकना आवश्यक है, तभी हम स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्राप्त कर सकेंगे।

प्लास्टिक की बोतलों में बंद पानी का उपयोग हमें बंद करना होगा, क्योंकि वह पानी नहीं, बल्कि ज़हर है।

हमें मिलकर यह प्रयास करना होगा कि गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार पर दबाव डाला जाए, तथा हम स्वयं इनकी खरीद बंद करें। ये पदार्थ न केवल हमें नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि पूरी प्रकृति को भी नुकसान पहुँचाते हैं, जिसका सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। आज बच्चों में फैल रही अनेक बीमारियों का प्रमुख कारण यही है।

जब भी हम बाज़ार से कोई वस्तु खरीदें, तो यह अवश्य ध्यान रखें कि उस वस्तु को बनाने वाली फैक्ट्री पर्यावरण को नुकसान तो नहीं पहुँचा रही है। यदि वह फैक्ट्री पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही है, तो हमें उस वस्तु को नहीं खरीदना चाहिए। यह भी पर्यावरण संरक्षण की एक बड़ी सहायता होगी।

भारत सरकार को संविधान में संशोधन करके पर्यावरण से संबंधित सभी अधिकार भारत के सुप्रीम कोर्ट को सौंप देने चाहिए, क्योंकि अब हम सरकार पर यह भरोसा नहीं कर सकते कि वह पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्याओं को रोक पाएगी।

भारत सरकार को पर्यावरण मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के अधीन कर देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट भारतीय सेना के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण का कार्य करे और जो भी व्यक्ति, संस्था या उद्योग पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए, उसके विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्रवाई की जाए।

इस प्रकार की कार्रवाई में भारत सरकार और राज्य सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट पर्यावरण संरक्षण की कार्रवाई में पुलिस की सहायता न लेकर सीधे भारतीय सेना की सहायता ले और भारतीय सेना अपने तरीके से प्रत्यक्ष कार्रवाई करे।

इस पूरी प्रक्रिया में भारत सरकार और राज्य सरकार किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न करें, तभी पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण संभव होगा और हमारा वातावरण स्वच्छ रहेगा।

अब हम सरकार और पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते। हमारे पास अंतिम विकल्प भारत की सेना है। हम सभी को भारतीय सेना और भारत के सुप्रीम कोर्ट पर पूर्ण विश्वास है और यही हमारी आखिरी उम्मीद है।

संवैधानिक माँग 

पर्यावरण से संबंधित सभी अधिकार संविधान संशोधन के माध्यम से भारत के सुप्रीम कोर्ट के अधीन किए जाएँ।

भारत का पर्यावरण मंत्रालय पूर्ण रूप से भारत के सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में कार्य करे।

पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले सभी अपराधों पर प्रत्यक्ष, कठोर और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

पर्यावरण संरक्षण से संबंधित किसी भी कार्रवाई में भारत सरकार और राज्य सरकार का कोई हस्तक्षेप न हो।

📚 3. निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा

हम मानते हैं कि शिक्षा व्यापार नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है।

हमारी माँगें :

संपूर्ण भारत में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा पद्धति लागू की जाए।

संपूर्ण भारत में जितने भी निजी शिक्षण संस्थान हैं, उन सभी का राष्ट्रीयकरण किया जाए और सभी शिक्षण संस्थानों को सरकार अपने अधिकार में ले।

शिक्षा के व्यवसायीकरण पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए।

भारत में जन्म लेने वाला प्रत्येक बच्चा अनिवार्य रूप से स्कूली शिक्षा प्राप्त करे। अर्थात् भारत का प्रत्येक बच्चा स्कूल जाए। इसके बाद यदि माता-पिता चाहें, तो बच्चे को धर्म की शिक्षा अलग से दिला सकते हैं।

प्रति दो वर्ष में एक बार संपूर्ण भारत में जितने भी शिक्षक हैं तथा शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की राष्ट्रीय स्तर पर एक परीक्षा आयोजित की जाए, जिससे शिक्षकों की योग्यता निरंतर बनी रहे और वे अपने विषय पर पूरा ध्यान दें।

प्रति दो वर्ष में एक बार प्रत्येक शिक्षक का राष्ट्रीय स्तर पर साक्षात्कार भी लिया जाए, जिसमें शिक्षक और बच्चों के संबंध, पिछले दो वर्षों के अध्ययन, विषय के परिणाम, बच्चों द्वारा की गई शिकायतों तथा अन्य शैक्षणिक पहलुओं पर प्रश्न पूछे जाएँ। इसके आधार पर एक मूल्यांकन तैयार किया जाए और उसी मूल्यांकन के आधार पर भारत सरकार यह तय करे कि वह व्यक्ति शिक्षक बनने योग्य है या नहीं।

संपूर्ण भारत में एक ही प्रकार की शिक्षा नीति लागू की जाए।

संपूर्ण भारत में एक शिक्षा-संबंधी शिकायत निवारण प्रणाली लागू की जाए, जिसमें अभिभावक और बच्चे अपनी शिक्षा से संबंधित सभी शिकायतें दर्ज कर सकें।

इन शिकायतों के निवारण के लिए जिला स्तर पर जिला न्यायालय के अधीन एक समिति नियुक्त की जाए, जो ऐसी सभी शिकायतों का अनिवार्य रूप से 15 दिनों के भीतर निवारण करे।

भारत सरकार शिक्षा तथा शिक्षा से संबंधित सभी वस्तुओं पर किसी भी प्रकार का कर (टैक्स) न लगाए।

भारत सरकार शिक्षा के साथ-साथ भारत के प्रत्येक बच्चे को पर्यावरण शिक्षा प्रदान करे तथा हर दो वर्ष बाद एक वर्ष पूर्ण रूप से पर्यावरण शिक्षा के लिए अलग पाठ्यक्रम तैयार करे, जिसमें बच्चे पर्यावरण के महत्व और पर्यावरण से संबंधित विषयों का अध्ययन करें। इस दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों में तथा विश्व स्तर पर सरकार द्वारा शिविर लगाकर बच्चों को पर्यावरण संबंधी जानकारी दी जाए।

भारत सरकार प्रत्येक बच्चे को अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ यह शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करे कि वह अपने और अपने परिवार को कैसे स्वस्थ रखे, अपने आसपास रहने वाले लोगों को कैसे स्वच्छ और स्वस्थ रखे तथा अपने राज्य और देश को कैसे स्वच्छ और स्वस्थ बनाए।

स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में किसी भी कक्षा या किसी भी विषय की पढ़ाई करने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए यह अनिवार्य हो कि वह अपनी पाठ्य-पुस्तकों के साथ-साथ भारत का भूगोल, भारत की कला और संस्कृति, भारत का इतिहास तथा भारत का संविधान अनिवार्य रूप से पढ़े।

भारत सरकार तहसील स्तर पर न्यायालय के नियंत्रण में एक समिति का गठन करे, जिसका कार्य यह होगा कि तहसील में कुल कितने गाँव हैं, उन गाँवों में कुल कितने बच्चे हैं, उन गाँवों में कितने स्कूल हैं, उन स्कूलों में कितने अध्यापक हैं, अध्यापक बच्चों को उचित शिक्षा दे रहे हैं या नहीं, तथा किन गाँवों या परिवारों के बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं और इसके क्या कारण हैं।

यदि किसी गाँव में कोई बच्चा शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहा है, स्कूल नहीं जा रहा है या माता-पिता बच्चे को स्कूल नहीं भेज रहे हैं, तो इसके लिए यह समिति पूर्ण रूप से जिम्मेदार होगी और दंड की पात्र होगी।

भारत सरकार संविधान में संशोधन करके शिक्षा के अधिकार क्षेत्र को भारत के सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में दे। सुप्रीम कोर्ट शिक्षा से संबंधित सभी नियम और अधिनियम बनाकर भारत के राष्ट्रपति को सौंपेगी, और राष्ट्रपति उन्हें संसद में प्रस्तुत करेंगे। संसद इन नियमों में कोई फेरबदल नहीं कर सकेगी और इन्हें पारित करके कानून बनाएगी।

संपूर्ण भारत में शिक्षा का स्तर, संपूर्ण भारत के लिए एक समान पाठ्यक्रम, शिक्षकों की भर्ती तथा सभी शिक्षण संस्थानों की देख-रेख भारत का सुप्रीम कोर्ट करेगा।

सुप्रीम कोर्ट अपने स्तर पर एक संस्था का गठन करेगा, जो संपूर्ण भारत में शिक्षा पद्धति की निगरानी करेगी। इस संस्था का प्रमुख भारत के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश होगा।

भारत के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश अपने नियंत्रण में एक अन्य संस्था का गठन करेगा, जिसका कार्य भारत की संसद द्वारा प्रदान किए गए धन का शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग करना होगा।

भारत सरकार भारत की संचित निधि से एक निश्चित धनराशि इस संस्था को आवंटित करेगी, जिसका उपयोग संपूर्ण भारत में शिक्षा से संबंधित कार्यों के लिए किया जाएगा।

भारत सरकार संविधान में संशोधन करके शिक्षा से संबंधित सभी शक्तियाँ सुप्रीम कोर्ट को प्रदान करे और यह सुनिश्चित करे कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना न तो भारत सरकार और न ही कोई राज्य सरकार शिक्षा से संबंधित कोई कानून बना सके या लागू कर सके।

भारत सरकार शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था पूर्ण रूप से समाप्त करे, क्योंकि भारत में जन्म लेने वाला प्रत्येक बच्चा समान है और उनमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। आरक्षण भेदभाव सिखाता है।

भारत का शिक्षा मंत्रालय पूर्ण रूप से भारत के सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में कार्य करे।

संवैधानिक माँग (विस्तृत)

शिक्षा से संबंधित सभी अधिकार संविधान संशोधन के माध्यम से भारत के सुप्रीम कोर्ट को प्रदान किए जाएँ।

शिक्षा मंत्रालय पूर्ण रूप से भारत के सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण, निर्देशन और निगरानी में कार्य करे।

शिक्षा से संबंधित किसी भी प्रकार का नियम, अधिनियम या कानून केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा तैयार किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना भारत सरकार या कोई भी राज्य सरकार शिक्षा से संबंधित कोई कानून न बना सके और न ही लागू कर सके।

संपूर्ण भारत में शिक्षा की गुणवत्ता, समान पाठ्यक्रम, शिक्षकों की नियुक्ति, मूल्यांकन तथा सभी शिक्षण संस्थानों की देख-रेख का सर्वोच्च अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास हो।

🏥 4. निशुल्क एवं अनिवार्य इलाज

हम मानते हैं कि इलाज दया नहीं, बल्कि जीवन का मौलिक अधिकार है।

हमारी माँगें :

भारत सरकार भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य इलाज की व्यवस्था करे।

संपूर्ण भारत में जितने भी निजी अस्पताल हैं, उनका राष्ट्रीयकरण किया जाए और उन्हें सरकारी अस्पतालों में परिवर्तित किया जाए।

स्वास्थ्य सेवाओं का किसी भी रूप में व्यापारीकरण नहीं होना चाहिए, इस पर भारत सरकार कठोरता से नियंत्रण स्थापित करे।

भारत के प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ और स्वच्छ जीवन जीने के लिए भारत सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर व्यापक जन-स्वास्थ्य अभियान प्रारंभ करे।

अपनी बीमारी का इलाज करवाना अनिवार्य रूप से लागू किया जाए, क्योंकि एक व्यक्ति के बीमार होने का प्रभाव उसके पूरे परिवार तथा उसके आसपास रहने वाले समाज पर पड़ता है।

भारत सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि भारत के प्रत्येक बच्चे को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की शिक्षा भी दी जाए। इसके साथ ही प्रत्येक विद्यालय में वर्ष में तीन बार प्राथमिक उपचार शिविर अनिवार्य रूप से आयोजित किए जाएँ, जिनमें बच्चे शिक्षक या चिकित्सक की निगरानी में प्राथमिक उपचार का अभ्यास करें।

भारत सरकार यह व्यवस्था करे कि प्रत्येक बच्चे की वर्ष में एक बार अनिवार्य रूप से शारीरिक जाँच की जाए, ताकि बच्चों में होने वाली बीमारियों की समय रहते पहचान हो सके और उनका उपचार किया जा सके।

भारत सरकार यह व्यवस्था सुनिश्चित करे कि जब तक बच्चा अध्ययनरत रहे, तब तक उसे प्रत्येक वर्ष निशुल्क एवं अनिवार्य रूप से संपूर्ण शारीरिक जाँच करानी होगी। इस शारीरिक जाँच के प्रमाण-पत्र के आधार पर ही बच्चे को अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाए।

💼 5.निशुल्क एवं अनिवार्य रोजगार

(जीवन, सम्मान और न्याय का संवैधानिक अधिकार)

हम मानते हैं कि रोजगार कोई कृपा नहीं, बल्कि जीवन जीने का मौलिक अधिकार है।

 बिना रोजगार के न तो व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन जी सकता है, न परिवार सुरक्षित रह सकता है और न ही समाज तथा राष्ट्र सशक्त बन सकता है। बेरोजगारी गरीबी, अपराध, शोषण, असमानता और सामाजिक असंतुलन की जड़ है। इसलिए निशुल्क एवं अनिवार्य रोजगार भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

हमारी स्पष्ट माँगें

भारत सरकार संपूर्ण भारत में कार्य करना अनिवार्य करने का नियम लागू करे, ताकि प्रत्येक सक्षम व्यक्ति राष्ट्र निर्माण में भागीदार बने।

भारत सरकार भारत के प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता, क्षमता और कौशल के अनुसार रोजगार प्रदान करे।

भारत की प्रत्येक तहसील में तहसीलदार के नियंत्रण में एक रोजगार कार्यालय स्थापित किया जाए।

इस कार्यालय में तहसील क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति का पंजीकरण अनिवार्य हो।

यह रिकॉर्ड रखा जाए कि कौन व्यक्ति कहाँ कार्यरत है, उसकी मासिक आय कितनी है और कौन बेरोजगार है।

बेरोजगार व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें उपयुक्त कार्य से जोड़ना इस कार्यालय का दायित्व हो।

भारत सरकार प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक नागरिक को जीविकोपार्जन हेतु कोई-न-कोई हुनर अनिवार्य रूप से सिखाए, जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके।

भारत सरकार बेरोजगारी भत्ता व्यवस्था समाप्त करे और उसके स्थान पर प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करे।

भारत सरकार प्रत्येक छह माह में महँगाई का आधिकारिक आँकड़ा जनता के समक्ष प्रस्तुत करे और उसी के आधार पर न्यूनतम मजदूरी दर निर्धारित की जाए।

महँगाई बढ़ने पर मजदूरी बढ़े।

महँगाई घटने पर मजदूरी घटे।

तहसील स्तर पर रोजगार कार्यालय होने से मजदूर वर्ग, विशेषकर कम पढ़े-लिखे और कमजोर लोगों को उनके अधिकारों की जानकारी मिलेगी।

उन्हें बताया जाएगा कि किस कार्य के लिए कितनी न्यूनतम मजदूरी देय है।

इससे शोषण रुकेगा और सामाजिक न्याय स्थापित होगा।

संवैधानिक आधार और संदर्भ

भारतीय संविधान स्वयं रोजगार, समानता और सम्मानपूर्ण जीवन की गारंटी देता है। यह घोषणापत्र संविधान की आत्मा के अनुरूप है।

1. अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार

यह अनुच्छेद कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है।

 सभी नागरिकों को समान अवसर और समान रोजगार मिलना इसी का विस्तार है।

2. अनुच्छेद 16 – सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर

राज्य का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को रोजगार में समान अवसर प्रदान करे।

 निशुल्क एवं अनिवार्य रोजगार इसी अनुच्छेद की व्यावहारिक पूर्ति है।

3. अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, सम्मानपूर्वक जीवन का अधिकार अनुच्छेद 21 का अभिन्न भाग है।

 सम्मानपूर्ण जीवन रोजगार के बिना संभव नहीं।

4. अनुच्छेद 39 (a) – आजीविका के साधन

राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि सभी नागरिकों को अपनी आजीविका चलाने के पर्याप्त साधन प्राप्त हों।

 यह अनुच्छेद प्रत्यक्ष रूप से अनिवार्य रोजगार का आधार है।

5. अनुच्छेद 41 – कार्य का अधिकार

राज्य अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार नागरिकों को काम पाने का अधिकार देगा।

 यह घोषणापत्र इसी अनुच्छेद को पूर्ण रूप से लागू करने की माँग करता है।

6. अनुच्छेद 43 – जीवन निर्वाह योग्य मजदूरी

राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि श्रमिकों को ऐसी मजदूरी मिले जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

 न्यूनतम मजदूरी को महँगाई से जोड़ना इसी अनुच्छेद की आत्मा है।

हमारा संकल्प

हम यह स्पष्ट रूप से मानते हैं कि:

बेरोजगारी को दान, भत्ते या अस्थायी योजनाओं से नहीं,बल्कि स्थायी, संरचित और अनिवार्य रोजगार व्यवस्था से ही समाप्त किया जा सकता है।

निशुल्क एवं अनिवार्य रोजगार

 = गरीबी का अंत

 = शोषण का अंत

 = सामाजिक न्याय

 = मजबूत राष्ट्र

यह केवल एक माँग नहीं, बल्कि संवैधानिक कर्तव्य और नागरिक अधिकार है।

👩‍⚖️ 6. महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा

हम मानते हैं कि महिला सुरक्षित नहीं, तो राष्ट्र सुरक्षित नहीं।

महिला सुरक्षा

(नारी सुरक्षित, तो राष्ट्र सुरक्षित)

हम मानते हैं कि यदि महिला सुरक्षित नहीं है, तो राष्ट्र भी सुरक्षित नहीं हो सकता।

 महिला की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता किसी भी सभ्य समाज और मजबूत राष्ट्र की आधारशिला 

हमारी माँगें:

भारत में जन्म लेने वाली प्रत्येक बच्ची को आत्मनिर्भर बनाना भारत सरकार का अनिवार्य कर्तव्य होगा।

भारत में जन्म लेने वाली प्रत्येक बच्ची को 15 वर्ष की आयु में भारतीय अर्द्धसैनिक बलों का प्रशिक्षण देना अनिवार्य किया जाए, ताकि वह आत्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा में सक्षम बन सके।

भारत की प्रत्येक बच्ची को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के साथ-साथ अनिवार्य रूप से हस्तकला एवं आजीविका से जुड़े कौशल सिखाए जाएँ।

भारत सरकार तथा सभी राज्य सरकारें सभी सरकारी पदों पर महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करें।

भारतीय समाज में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों तथा बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्षता में प्रत्येक जिला न्यायालय स्तर पर पृथक महिला न्यायालयों की स्थापना की जाए।

इन न्यायालयों में न्यायाधीश अनिवार्य रूप से महिलाएँ हों।

इन मामलों की पैरवी महिला अधिवक्ताओं द्वारा ही की जाए।

महिलाओं के विरुद्ध होने वाले जघन्य अपराधों की जाँच भारतीय सेना और पुलिस द्वारा की जाए।

भारतीय समाज में महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार, महिलाओं की हत्या, तथा तेजाब से जलाने जैसे गंभीर अपराधों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट भारत की नागरिकता की स्पष्ट परिभाषा निर्धारित करे।

जो व्यक्ति महिलाओं के साथ इस प्रकार के जघन्य अपराध करता है, उसे भारत का नागरिक नहीं माना जाए।

ऐसे अपराधों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति की भारतीय नागरिकता समाप्त की जाए।

महिलाओं के विरुद्ध इस प्रकार के गंभीर अपराधों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को भारत से निष्कासित किया जाए, क्योंकि ऐसे व्यक्ति भारत में निवास करने योग्य नहीं हैं।

भारत सरकार यह सुनिश्चित करे कि महिलाओं के साथ होने वाले जघन्य अपराधों के मामलों में न्यायालय द्वारा 90 दिनों के भीतर निर्णय दिया जाए।

भारत के सुप्रीम कोर्ट, भारत के राष्ट्रपति तथा भारत के मानवाधिकार आयोग की संयुक्त समिति गठित की जाए, जो ऐसे अपराधों में दोषी पाए गए व्यक्तियों के मामलों की पुनः जाँच करे।

पुनः जाँच में दोष सिद्ध होने पर उस व्यक्ति को भारत से स्थायी रूप से देशनिकाला दिया जाए।

भारतीय संविधान का संदर्भ

1. अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार

यह अनुच्छेद कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करता है।

 महिलाओं को समान सुरक्षा, समान अवसर और समान न्याय देना इसी अनुच्छेद का मूल उद्देश्य है।

2. अनुच्छेद 15(3) – महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान

राज्य को यह अधिकार देता है कि वह महिलाओं और बालिकाओं के लिए विशेष कानून और सुरक्षा उपाय बनाए।

3. अनुच्छेद 16 – सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर

सरकारी पदों पर महिलाओं को समान अवसर और 50% प्रतिनिधित्व देना इस अनुच्छेद की भावना के अनुरूप है।

4. अनुच्छेद 21 – जीवन और गरिमा का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, जीवन के अधिकार में सुरक्षा, सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार शामिल है।

 महिलाओं के विरुद्ध हिंसा इस अनुच्छेद का सीधा उल्लंघन है।

5. अनुच्छेद 39 (a) और (d)

राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि महिलाओं को समान आजीविका के अवसर और समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।

6. अनुच्छेद 51A (e) – मौलिक कर्तव्य

यह अनुच्छेद प्रत्येक नागरिक पर यह कर्तव्य डालता है कि वह महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध किसी भी प्रकार की प्रथा का त्याग करे।

हमारा संकल्प

हम यह स्पष्ट रूप से मानते हैं कि:

महिला सुरक्षा केवल कानून से नहीं,बल्कि संवैधानिक संकल्प, सामाजिक चेतना और कठोर न्याय व्यवस्था से संभव है।

महिला सुरक्षित = परिवार सुरक्षित = समाज सुरक्षित = राष्ट्र सुरक्षित

यह केवल एक माँग नहीं, बल्कि भारत के संविधान की आत्मा और राष्ट्र के भविष्य की रक्षा का संकल्प है।

🏛️ 7.भारत सरकार का कर्तव्य

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह संविधान में संशोधन करके भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के कर्तव्यों को स्पष्ट रूप से संविधान में निहित करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के प्रत्येक नागरिक को निशुल्क एवं अनिवार्य इलाज की व्यवस्था प्रदान करे।

भारत में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए भारत सरकार लोकपाल विधेयक को पूर्ण रूप से लागू करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार उपयुक्त रोजगार प्रदान करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के प्रत्येक नागरिक को निशुल्क एवं अनिवार्य न्याय प्रदान करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत में शांति एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के लोकतंत्र की रक्षा करे तथा ऐसी व्यवस्था बनाए रखे जिससे भारत के निवासियों की लोकतंत्र में आस्था बनी रहे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के प्रत्येक व्यक्ति को मतदान का अधिकार प्रदान करे तथा यदि कोई जनप्रतिनिधि अपने पद का दुरुपयोग करे या जनता के हित में कार्य न करे, तो जनता को उसे पद से हटाने का पूर्ण अधिकार मिले।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत में निवास करने वाले सभी नागरिकों को रहने के लिए आवास, दो समय का भोजन, परिवार चलाने के लिए रोजगार तथा बीमारी की स्थिति में निशुल्क एवं अनिवार्य इलाज की व्यवस्था प्रदान करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के भीतर पर्यावरण प्रदूषण को समाप्त करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत में रहने वाले सभी जीवों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग एवं पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए निरंतर प्रयास करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करे, चाहे वह भारत के भीतर निवास करता हो या भारत के बाहर।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारतीय प्रशासन को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाए।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत की संचित निधि का उपयोग भारत की जनता की भलाई के लिए करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारतीय जनता के हित में विधियाँ बनाए।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह भारत का समग्र विकास करे तथा प्रत्येक भारतीय को समान विकास के अवसर प्रदान करे।

भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह संपूर्ण भारत को स्वच्छ, सुंदर एवं स्वस्थ बनाए रखे।

भारतीय संविधान में संवैधानिक संदर्भ (संक्षिप्त विवरण)

अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार

शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, भोजन, सुरक्षा और सम्मानपूर्वक जीवन का अधिकार इसी के अंतर्गत आता है।

अनुच्छेद 21A – निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा

प्रत्येक बच्चे को शिक्षा देना राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है।

अनुच्छेद 38 – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय

राज्य का कर्तव्य है कि वह जनता के कल्याण को बढ़ावा दे।

अनुच्छेद 39 (a), (b), (c)

आजीविका, संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण और शोषण की समाप्ति।

अनुच्छेद 41 – कार्य, शिक्षा और सार्वजनिक सहायता का अधिकार

रोजगार, स्वास्थ्य सहायता और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित।

अनुच्छेद 47 – सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन स्तर

पोषण, स्वास्थ्य और जीवन-स्तर में सुधार राज्य का प्राथमिक कर्तव्य।

अनुच्छेद 48A – पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण और वन्यजीवों की रक्षा राज्य का कर्तव्य।

अनुच्छेद 51A – मौलिक कर्तव्य

स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, लोकतंत्र और संविधान के प्रति निष्ठा।

अनुच्छेद 324, 326 – निर्वाचन और मतदान अधिकार,स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव तथा सार्वभौमिक मताधिकार।

अनुच्छेद 266 – भारत की संचित निधि सार्वजनिक धन का उपयोग केवल जनकल्याण हेतु।

भारत के संविधान में कहीं पर भी भारत सरकार और राज्य सरकार के कर्तव्य नहीं दिए गए हैं हम भारत की जनता यह कैसे तय करें कि भारत की सरकार भारत की जनता के हित में कार्य कर रही है या नहीं बिना कर्तव्य के हम यह कैसे पता करें कि भारत की जनता भारत के हित में कार्य कर रही है जनता के हित में कार्य कर रही है और यही वजह है कि हम चाहते हैं कि सरकार अपने कर्तव्य संविधान में निर्दिष्ट करें।

🧑‍🤝‍🧑 8. नागरिकों के कर्तव्य

हर भारतीय का कर्तव्य है कि:

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह भारत की संप्रभुता लोकतंत्र संसद विधि और न्यायालय में विश्वास रखें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह सरकारी संपत्तियों का संरक्षण करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण का संरक्षण करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह प्रकृति का सम्मान करें और प्रकृति को नुकसान ना पहुंचाएं 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह जीव दया रखें और भारत में रहने वाले सभी जीवों के प्राकृतिक आवास को संरक्षण प्रदान करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण प्रदूषण, आतंकवाद, नक्सलवाद, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और गंभीर बीमारी जैसी समस्याओं का समाधान सरकार के सहयोग से करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने घर को अपने मोहल्ले को अपने गांव और शहर को अपने राज्य को और अपने देश को स्वच्छ और स्वस्थ रखें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह भारत में शांतिपूर्वक निवास करें और ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे भारत की संप्रभुता को खतरा हो 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह दूसरे लोगों की स्वतंत्रता और अधिकारों का हनन न करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने उपयोग से ज्यादा वस्तुओं का जमा ना करें , व्यक्ति को जितनी आवश्यकता हो उतनी ही साधनों का प्रयोग करें

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह भारत के वातावरण को प्रदूषित न करें और कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे कि वातावरण में प्रदूषण फैले 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि बीमार होने पर अपना अनिवार्य रूप से इलाज करवाएं 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपनी आर्थिक स्थिति को मध्य नजर रखते हुए ही संतान पैदा करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही शादी करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह वर्ष में काम से कम 10 पेड़ लगाए और उनका संरक्षण करें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह महिलाओं का सम्मान करें और उन्हें इज्जत दें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि भारतीय समाज को अपराध मुक्त रखें। अगर कोई व्यक्ति अपराध करता है या किसी भी आपराधिक गतिविधि का हिस्सा है तो व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह सरकार को इसकी जानकारी दें 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह एक जागरूक उपभोक्ता बने 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह सरकारी कार्य में सहयोग दे 

भारत के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि जब भी देश को हमारी जरूरत हो हम सभी कार्य छोड़कर देश हित के लिए अपने आप को समर्पण कर देंगे 


✊ समापन संकल्प

Civi Nation यह संकल्प लेता है कि

 हम चुप नहीं रहेंगे,

 हम बिकेंगे नहीं,

 हम टूटेंगे नहीं,

 और हम अपने देश, प्रकृति और आने वाली पीढ़ियों कोनष्ट होने नहीं देंगे।

🔱 CIVI NATION – एक राष्ट्र, एक कर्तव्य, एक आंदोलन

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