मानव समाज ने विकास और आराम की चाह में प्रकृति की दी हुई अमूल्य संसाधन — जल और वायु — का दोहन इस प्रकार किया है कि आज हम खुद अपनी साँसों और पानी को प्रदूषित कर चुके हैं। यदि वैश्विक स्तर पर मजबूत नीतियाँ न बनाई जाएँ और व्यक्ति‑स्तर पर जागरूकता न आए, तो आने वाली पीढ़ियाँ जीवन यापन के लिए संघर्ष करती रहेंगी। इसलिए, हमें आज एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा — नीतिगत स्तर पर और व्यक्तिगत जीवन में।
प्रमुख रिपोर्टें और नीतिगत आधार
1. UN World Water Development Report
इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जल संसाधनों का दोहन — चाहे उद्योगों द्वारा हो, या कृषि और शहरीकरण के कारण — अक्सर उस मात्रा से बहुत अधिक होता है, जितनी वास्तव में जरूरत होती है।
उद्योगों में जल लेखांकन (water‑accounting) लागू करना, अपशिष्ट जल उपचार सुविधाओं को बढ़ावा देना, और सतत जल प्रबंधन प्रथाओं को अनिवार्य करना चाहिए।
शहरी और पेरी‑अर्बन व्यवस्थाओं (सड़कों, बस्तियों, बुनियादी ढाँचे) को इस प्रकार डिजाइन करना चाहिए कि पानी की खपत और प्रदूषण दोनों नियंत्रित हों।
पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) की सेवाओं — जैसे जल चक्र, जल शोधन, प्राकृतिक जल संचयन — को संरक्षित करना अनिवार्य है।
2. World Health Organization (WHO) एवं IQAir द्वारा प्रकाशित World Air Quality Report 2024
इस रिपोर्ट के अनुसार, एयर पोल्यूशन — विशेषकर PM2.5 और PM10 जैसे पार्टिकुलेट मैटर — आज स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा वैश्विक खतरा है। वातावरण की कितनी हद तक गुणवत्ता सुरक्षित हो, इसके लिए WHO ने वायु‑गुणवत्ता दिशा‑निर्देश (air quality guidelines) बनाये हैं।
IQAir के 2024 के आँकड़ों में दिखाया गया है कि 8,954 शहरों में से केवल लगभग 17% शहरों ने WHO के वार्षिक PM2.5 मानकों को पूरा किया है।
वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियाँ — जैसे श्वसन रोग, फेफड़ों की बीमारी, अस्थमा, हृदय रोग, बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव — जनस्वास्थ्य का बड़ा संकट बन चुकी हैं।
3. राष्ट्रीय नीतियाँ — उदाहरण के लिए National Clean Air Programme (भारत)
भारत में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए यह कार्यक्रम लागू किया गया है, जिसमें 102 “non‑attainment cities” (जहाँ वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों को नहीं पूरा करती) को प्राथमिकता दी गई है।
सार्वजनिक परिवहन, स्वच्छ ऊर्जा, उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण, इलेक्ट्रिक वाहन (ई‑मोबिलिटी), वैकल्पिक ईंधन — जैसे उपाय शामिल हैं।
वायु‑गुणवत्ता मापने और निगरानी बढ़ाने, उत्सर्जन नियंत्रण, औद्योगिक मानकों में सख्ती, कचरा प्रबंधन, ठोस और जल अपशिष्ट प्रबंधन जैसी नीतियाँ अपनायी जा रही हैं।
जल और वायु प्रदूषण कम करने के लिए विश्व‑स्तरीय नीतिगत सुझाव
4. एकीकृत जल प्रबंधन नीति (Integrated Water Resources Management)
विभिन्न क्षेत्रों — उद्योग, कृषि, शहरी और ग्रामीण बस्तियाँ — के लिए जल उपयोग नियोजन करना चाहिए, ताकि जल निकासी, उपयोग और पुनः उपयोग संतुलित हो।
5. अधिसंघीय/अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझा नदियों का प्रबंधन
नदियों, जल स्रोतों और जलचक्र से जुड़े पारिस्थितिक प्रणालियों को सीमाओं/देशों के पार साझा संसाधन मानकर, साझा प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ बनानी चाहिए।
6. स्वच्छ ऊर्जा व ईंधन नीति
जीवाश्म‑ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीजल) पर निर्भरता कम कर, नवीकरणीय ऊर्जा — जैसे सौर, पवन — को बढ़ावा देना चाहिए। इससे वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन दोनों पर असर पड़ेगा।
7. कचरा प्रबंधन, अपशिष्ट जल शोधन और पुनर्चक्रण (recycling)
औद्योगिक, कृषि और शहरी अपशिष्ट जल के लिए कठोर उपचार और पुनर्चक्रण नीतियाँ बनानी चाहिए। साथ ही ठोस कचरे (कचरा, प्लास्टिक, रासायनिक अपशिष्ट) का सही निस्तारण व पुनर्चक्रण सुनिश्चित करना चाहिए।
8. पर्यावरण मानकों और निगरानी नेटवर्क का विस्तारीकरण
हर देश — विकसित और विकासशील दोनों — में वायु‑गुणवत्ता एवं जल‑गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों का नेटवर्क मजबूत करना चाहिए। आंकड़ों (data) का पारदर्शी संग्रह, नियमित रिपोर्टिंग और सार्वजनिक उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए।
9. स्थायी शहरी नियोजन (sustainable urban planning)
शहरों के निर्माण और विस्तार में पर्यावरणीय कारकों को प्राथमिकता देनी चाहिए — जैसे हरित क्षेत्र (green spaces), वृक्षारोपण, जल संचयन, अपशिष्ट जल प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन।
10. पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) संरक्षण
वन, नदी, तालाब, भूमि、水चक्र आदि पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण करना चाहिए ताकि प्राकृतिक जल चक्र, जल शोधन, वायु‑निर्माण और जैव विविधता बनी रहे।
11. अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और देश प्रतिबद्धताएँ (जैसे जलवायु संधियाँ, पर्यावरण समझौते)
दूरदृष्टि से, देशों को मिलकर वैश्विक जलवायु व पर्यावरण हितैषी नीतियाँ अपनानी चाहिए — ताकि विकास और पर्यावरण संरक्षण संतुलित हो सके।
12. सार्वजनिक जागरूकता और नागरिक भागीदारी
सरकारों के अलावा आम नागरिक, समाज, फ़िल्म‑माध्यम, स्कूल‑कॉलेज, सामुदायिक संगठन — सबका सहयोग चाहिए। जागरूक नागरिक ही नीतियों की मांग और कार्यान्वयन का समर्थन कर सकते हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर — हम क्या कर सकते हैं
13. आवश्यकता जितना ही उपयोग करें, दिखावा/बेतुकी खरीददारी से बचें
जब हम सिर्फ “जरूरत” के अनुसार ही चीज़ें खरीदें व उपयोग करें, तो उत्पादन‑उपभोग की चक्र कम होगी, जिससे वस्तुओं के निर्माण में कम संसाधन, कम ऊर्जा और कम प्रदूषण लगेगा।
14. चीज़ों को इकट्ठा करके न रखें — जरूरत के हिसाब से खरीदें
वस्तुओं का भंडारण और आवश्यकता से अधिक संग्रह अक्सर कचरे का कारण बनता है। जितना इस्तेमाल हो, उतनी ही चीजें रखें।
15. हर वस्तु का उपयोग करने से पहले सोचें — वह कितनी पर्यावरण‑हितैषी है? कितनी स्वास्थ्य‑हित है?
किसी वस्तु को लेने से पहले विचार करें — क्या उसके निर्माण, उपयोग या निस्तारण से पर्यावरण को नुकसान होगा? क्या वह आपके स्वास्थ्य के लिए सही है?
16. पुन: उपयोग (reuse) और पुनर्चक्रण (recycle) को प्राथमिकता दें
प्लास्टिक, कागज़, धातु आदि — इनका पुन: उपयोग या रिसाइक्लिंग करें। जितना हो सके, एक‑बार इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं (single‑use items) से बचें।
17. जल बचाएं — पानी को व्यर्थ न बहने दें, न नदियों या नालियों में अपशिष्ट न डालें
पानी को व्यर्थ बहने न दें, नदियों/तालाबों में कचरा या रसायन न डालें।
18. ऊर्जा बचत करें — बिजली, ईंधन, गैस इतना ही उपयोग करें जितनी वास्तव में जरूरत हो
बिजली या जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग करें; अनावश्यक जल्कीर्मों से बचें।
19. सार्वजनिक परिवहन, पैदल चलना या सायकल का उपयोग करें — निजी वाहन कम उपयोग करें
वाहन उत्सर्जन वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत है; यदि हम सार्वजनिक परिवहन, कारपूलिंग, सायकल या पैदल चलते हैं — प्रदूषण कम होगा।
20. वृक्षारोपण और पेड़ों का संरक्षण करें
पेड़ व पौधे वायु को स्वच्छ बनाते हैं, कार्बन उत्सर्जन को अवशोषित करते हैं, जल‑चक्र व भूमि को मजबूत रखते हैं।
21. अपने आस‑पास स्वच्छता व कचरा प्रबंधन करें
कचरा जल, घरेलू अपशिष्ट, रसायन — इन्हें रिसाइकिल/सही निस्तारण के रूप में देखें।
22. दूसरों को जागरूक करें — परिवार, मित्र, समाज
अपनी सोच व व्यवहार बदलना ही पर्याप्त नहीं; दूसरों को भी यह समझाने की कोशिश करें कि प्रदूषण पर काबू तभी होगा जब हम सब मिलकर प्रयास करें।
23. स्वास्थ्य का ध्यान रखें — प्रदूषण के प्रभावों से बचाव
स्वच्छ पानी पिएं, स्वच्छ वातावरण में रहें, मास्क/फिल्टर करें यदि ज़रूरत हो, नियमित स्वास्थ्य‑जाँच करें।
24. जिम्मेदार उपभोग करें — जितनी वस्तु जरूरी हो, उतनी ही लें; ‘फैशन’, ‘शौक’ या दिखावे के लिए नहीं
शौक या दिखावे के लिए वस्तुओं को बार‑बार बदलने या अधिक लेने से बचें।
25. स्थायी विकल्प अपनाएँ — biodegradable, कम‑प्रदूषण कारगर वस्तुएँ चुनें
वह वस्तुएँ चुनें जिनका पर्यावरणीय प्रभाव कम हो — जैसे कम प्लास्टिक, पुनर्चक्रण योग्य, कम ऊर्जा‑उपयोग वाले।
26. स्थानीय संसाधन और उत्पादों को प्राथमिकता दें — जितना हो सके पास के उत्पाद लें
दूरस्थ स्थानों से लंबी दूरी तय करके आने वाले (transportation‑heavy) उत्पादों की बजाय स्थानीय उत्पादों का उपयोग करें। इससे वायु प्रदूषण और ऊर्जा खपत दोनों कम होंगे।
27. अपने पानी की खपत पर निगरानी रखें — जैसे नल बंद करना, बराबर सफाई न करना, पानी बचाना
बाथरूम, रसोई आदि में पानी की बर्बादी से बचें; बरसात का पानी संचयन करें; जल स्रोतों की रक्षा करें।
28. सही जानकारी हासिल करें और जागरूक रहें — मीडिया, रिपोर्ट, रिसर्च आदि से सीखें
वायु और जल प्रदूषण की जानकारी रखें; समझें कि क्या हो रहा है, कहाँ खामी है, हम क्या बदल सकते हैं।
29. प्रकृति के प्रति दायित्व और संवेदनशीलता रखें — सतत जीवनशैली अपनाएँ
प्रकृति को सिर्फ संसाधन न समझें — यह हमारे जीवन का आधार है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे संरक्षित रखें।
30. दूसरों की मदद करें — समाज‑स्तर पर काम करें, सामूहिक रूप से छोटे‑बड़े प्रयास करें
अपने मोहल्ले, गाँव, शहर में मिलकर स्वच्छता, वृक्षारोपण, जल संरक्षण, जागरूकता अभियान चलाएँ।
एकीकृत दृष्टिकोण: नीति + व्यक्तिगत संस्कार
जब वैश्विक व राष्ट्रीय नीतियाँ हों — स्वच्छ जल व वायु, निगरानी, उद्योग नियंत्रण, स्वच्छ ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, सतत शहरी विकास आदि — और उसी के साथ आम नागरिक दिन‑प्रतिदिन अपनी जीवनशैली में सजग रहें, तब ही जल और वायु प्रदूषण को स्थायी रूप से रोका जा सकता है।
व्यक्तिगत स्तर पर आपके द्वारा उठाए गए छोटे‑छोटे कदम — जितना संभव हो उतना जरूरत के अनुसार उपभोग, चीज़ों का संग्रह सीमित रखना, पुनर्चक्रण, जल व ऊर्जा की बचत, प्रदूषण‑हित चीजों को प्राथमिकता देना, सार्वजनिक परिवहन और पेड़‑पौधे — इन सब का संयुक्त प्रभाव होगा।
विश्व की प्रमुख रिपोर्टें जो हमें सतर्क कर रही हैं — जैसे UN Water Report, WHO / IQAir वायु गुणवत्ता रिपोर्ट — वे समझा रही हैं कि यदि बदलाव न हुआ, तो हमारी अगली पीढ़ियाँ स्वच्छ पानी और स्वच्छ हवा के लिए संघर्ष करेंगी। यह समय है — सोच बदलने का, व्यवहार बदलने का।
उत्पन्न प्रेरक संदेश
आज अगर हम सब मिलकर जल और वायु की रक्षा का संकल्प लें — न केवल नीतिगत स्तर पर, बल्कि अपने अपने घर, मोहल्ले, शहर से — तो हम अपने बच्चों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और संतुलित भविष्य दे सकते हैं।
“प्रकृति हमारी माँ है — उसकी रक्षा करना, हमारी पहली ज़िम्मेदारी है। हमें जितना लेना है, उतना ही लें; जितना देना है, वह दूँ; ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वच्छ हवा में साँस ले सकें, स्वच्छ जल पी सकें — और जीवन का आनंद ले सकें।”
“यह अंश हमारी पुस्तक सर्व साम्य अद्वैत प्रकृति चेतनवाद दर्शन — भाग 1 : नव सवित तत्व प्रकृतिवाद से लिया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य प्रकृति की सर्वोच्च सत्ता की स्थापना करके विश्व में शांति स्थापित करना है, ताकि धरती पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन में शांति बनी रहे, मनुष्य के जीवन में भी संतुलन और सौहार्द रहे, तथा सभी मनुष्य आपस में मिल-जुलकर अपने विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकें। हमारी प्रकृति से प्रार्थना है कि धरती पर स्थित प्रत्येक जीव सुखी रहे, स्वस्थ रहे।” आप भी चाहते हैं विश्व में शांति तो हमसे संपर्क करें।
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