मैं संदीप सिंह सम्राट आप सभी को हाथ जोड़कर आप सभी के चरणों में प्रणाम करता हूं और आप सभी से कहता हूं प्रकृति नमामि जीवनम् मेरा आप सभी से निवेदन है कि धरती पर जीवन कायम रखने के लिए समस्त जीव जगत के लिए समस्त मानव जाति के लिए हम सबको मिलकर प्रकृति को बचाना होगा तभी हम सब अपना जीवन बचा सकते हैं और हमारे आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी बचा सकते हैं धरती सभी जीवो का एकमात्र घर है इसमें मनुष्य भी शामिल है हम सभी मनुष्यों का पहला घर धरती है हमें अपने घर को बचाना है धरती की सभी जीव हमारे अपने हैं हमें सभी जीवों की सुरक्षा करनी है हम सभी मनुष्य प्रकृति की संतान है और हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी मां प्रकृति की सुरक्षा करें और संरक्षण प्रदान करें धरती पर रहने वाले सभी जीव प्रकृति की संतान है और हमारे भाई बहन है हम मनुष्यों को उन सभी की सुरक्षा करनी है हम सबको मिलकर प्रकृति को बचाना है अपने घर को बचाना है अपने भाई बहनों को बचाए रखना है हम सब मिलकर अपने घर की रक्षा करें अपने घर को सुंदर बनाएं फिर से प्रकृति को खुशहाल करें हमारी मुहिम में शामिल हो “एक धरती एक भविष्य” में शामिल होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचाएं ताकि हम सभी मनुष्य मिलकर प्रकृति को फिर से पहले जैसा बना सकें हमारा नारा है एक धरती- एक भविष्य-एक मानवता. लिए हम सब मिलकर प्रयास करें अपने घर को सुरक्षित रखें आप सभी से हमारा निवेदन है कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने में हमारी मदद कीजिए हम आपसे कुछ नहीं मांग रहे हम बस इतना चाहते हैं कि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य निभाई किसी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने में हमारी मदद कीजिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं
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वैश्विक संघर्ष और अस्थिरता: रूस–यूक्रेन, मध्य-पूर्व, परमाणु खतरा और आतंकवाद
रूस–यूक्रेन संघर्ष: रूस–यूक्रेन संघर्ष (Russia–Ukraine Conflict) एक वर्तमान वैश्विक राजनीतिक और सैन्य संघर्ष है, जिसका आरंभ 2014 में हुआ और 2022 में यह गंभीर रूप ले चुका है। इसका मूल कारण क्षेत्रीय भू-राजनीति, यूक्रेन की पश्चिमी गठबंधन में शामिल होने की आकांक्षा और रूस की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षा हैं। इस संघर्ष में सैनिक टकराव, सीमा विवाद और रणनीतिक संसाधनों का नियंत्रण शामिल है। रूस और यूक्रेन के बीच यह युद्ध आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से न केवल दोनों देशों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक संतुलन पर भी असर डाल रहा है। प्रत्यक्ष प्रभाव में जीवन और संपत्ति की हानि, नागरिकों का विस्थापन, बुनियादी सेवाओं का टूटना और आर्थिक संकट शामिल हैं। अप्रत्यक्ष प्रभाव में वैश्विक तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि, वैश्विक खाद्य संकट और राजनीतिक अस्थिरता शामिल हैं।
मध्य-पूर्व संघर्ष: मध्य-पूर्व संघर्ष (Middle East Conflicts) कई दशकों से क्षेत्रीय और धार्मिक विवादों के कारण जारी है। इसमें इज़राइल–फिलिस्तीन विवाद, सीरिया गृहयुद्ध, इराक संघर्ष, यमन युद्ध और अन्य क्षेत्रीय संघर्ष शामिल हैं। इन संघर्षों का मूल कारण राजनीतिक सत्ता, धार्मिक और जातीय असमानता, प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण और विदेशी हस्तक्षेप हैं। मध्य-पूर्व संघर्ष के प्रभाव वैश्विक स्तर पर व्यापक हैं। प्रत्यक्ष प्रभाव में नागरिक हानि, बुनियादी ढांचे की ध्वस्तता, आर्थिक मंदी और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं में कमी शामिल हैं। अप्रत्यक्ष प्रभाव में शरणार्थी संकट, सामाजिक अस्थिरता, आतंकवाद का प्रसार और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव शामिल हैं।
परमाणु युद्ध का खतरा: परमाणु युद्ध (Nuclear War Threat) का अर्थ है दो या दो से अधिक देशों के बीच परमाणु हथियारों का प्रयोग करना, जो व्यापक विनाश और मानव जीवन के लिए असाधारण खतरा उत्पन्न करता है। परमाणु युद्ध का खतरा विश्व शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। इसके संभावित प्रभाव में तत्काल मानव जनहानि, पर्यावरणीय विनाश, वैश्विक स्वास्थ्य संकट, आर्थिक पतन और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ शामिल हैं। परमाणु युद्ध का खतरा केवल सैन्य दृष्टि से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक तनाव, असमान सत्ता संरचना और वैश्विक नीति की विफलताओं के कारण भी बढ़ रहा है।
आतंकवाद और उग्रवाद: आतंकवाद (Terrorism) वह हिंसक और भय उत्पन्न करने वाली गतिविधि है, जिसे राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। उग्रवाद (Extremism) वह मानसिक और सामाजिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति या समूह अत्यधिक कट्टर और हिंसक दृष्टिकोण अपनाता है। आतंकवाद और उग्रवाद वैश्विक शांति और मानव सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इनके प्रभाव में लगातार अस्थिरता, मानव जनहानि और शरणार्थी संकट प्रमुख हैं।
लगातार अस्थिरता: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब देश या क्षेत्र में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था लगातार संकटग्रस्त हो। संघर्ष, युद्ध, आतंकवादी गतिविधियाँ और शासन की कमजोरियाँ अस्थिरता को बढ़ाती हैं। लगातार अस्थिरता के परिणामस्वरूप आर्थिक मंदी, निवेश की कमी, व्यापार और रोजगार में कमी, और सामाजिक असंतोष बढ़ता है।
मानव जनहानि: युद्ध, आतंकवाद और उग्रवाद के कारण मानव जीवन की भारी हानि होती है। प्रत्यक्ष रूप से यह मौत, घायल होना और मानसिक व शारीरिक पीड़ा के रूप में दिखाई देता है। अप्रत्यक्ष रूप से यह विस्थापन, स्वास्थ्य संकट, पोषण की कमी और शिक्षा में बाधा के रूप में समाज पर असर डालता है।
शरणार्थी संकट: युद्ध, संघर्ष और आतंकवादी हमलों के कारण लोग अपने घरों और देश से पलायन करते हैं। यह शरणार्थी संकट वैश्विक स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौती बन गया है। शरणार्थियों की संख्या लाखों में है और इससे पड़ोसी देशों पर दबाव, भोजन, आवास और स्वास्थ्य संसाधनों की कमी और सामाजिक तनाव बढ़ता है।
वैश्विक प्रभाव: रूस–यूक्रेन और मध्य-पूर्व संघर्ष, परमाणु खतरा और आतंकवाद के कारण वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और मानवीय सहायता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह संकट अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शांति प्रयास और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को स्पष्ट करता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ संघर्ष और आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता, मध्यस्थता और शांति स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं।
वैज्ञानिक कारण: इन समस्याओं का वैज्ञानिक और सामाजिक कारण मानव संघर्ष, राजनीतिक असंतुलन, भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षा, प्राकृतिक संसाधनों का असमान वितरण, धार्मिक और जातीय असहमति, आर्थिक असमानता और वैश्विक शक्ति संघर्ष है। संघर्ष और आतंकवाद के कारण पर्यावरणीय विनाश, स्वास्थ्य संकट और सामाजिक असंतोष भी उत्पन्न होता है।समाधान की आवश्यकता: इन वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए शांति स्थापना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, आतंकवाद विरोधी नीतियाँ, मानवीय सहायता, सामाजिक और आर्थिक सुधार, शिक्षा और जागरूकता आवश्यक हैं। युद्ध और आतंकवाद को रोकने के लिए वैश्विक संधियाँ, कूटनीतिक प्रयास और सामूहिक सुरक्षा उपाय महत्वपूर्ण हैं।
अस्थिरता — अर्थ और परिभाषा
अर्थ: अस्थिरता का अर्थ है — ऐसा वातावरण या स्थिति जिसमें शांति, सुरक्षा, आर्थिक संतुलन, राजनीतिक नियंत्रण और सामाजिक सामंजस्य लगातार बदलते रहें या खतरे में हों। अस्थिरता तत्काल संकट भी हो सकती है और दीर्घकालिक अव्यवस्था भी।
परिभाषा: अस्थिरता वह स्थिति है जिसमें किसी देश, क्षेत्र या पूरे विश्व में राजनीतिक अशांति, सामाजिक तनाव, आर्थिक गिरावट, युद्ध, आतंकवाद, कमजोर शासन या प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगातार अनिश्चितता और जोखिम उत्पन्न हो जाए, जिससे लोगों के जीवन, विकास और प्रगति पर गंभीर प्रभाव पड़े।
➤ वैश्विक संघर्ष और अस्थिरता
वैश्विक संघर्ष और अस्थिरता आज मानव सभ्यता के सामने खड़ी सबसे जटिल, खतरनाक और दूरगामी प्रभाव वाली समस्याएँ हैं। इन दोनों शब्दों को समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इनका प्रभाव सीमाओं के पार जाकर पूरी मानवता के जीवन, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और भविष्य को प्रभावित करता है। वैश्विक संघर्ष केवल दो देशों के युद्ध से शुरू होकर पूरे विश्व व्यवस्था के हिलने तक पहुँच सकता है। जब महाशक्तियाँ अपने-अपने हितों के आधार पर सैन्य, आर्थिक या रणनीतिक निर्णय लेती हैं, तो दुनिया के छोटे और कमजोर देश भी उसके दुष्परिणाम झेलते हैं। यही कारण है कि वैश्विक संघर्ष हमेशा सीमित क्षेत्र में नहीं रहता, बल्कि विश्वभर में अस्थिरता, अविश्वास और भय का वातावरण उत्पन्न करता है।
वैश्विक संघर्ष के कई कारण होते हैं — संसाधनों पर कब्ज़ा, ऊर्जा आपूर्ति, समुद्री क्षेत्र, धार्मिक व वैचारिक मतभेद, सत्ता विस्तार की नीति, भू-राजनीति, ऐतिहासिक शत्रुता और साम्राज्यवादी इच्छाएँ। इतिहास में देखा गया है कि जब भी कोई महाशक्ति खुद को श्रेष्ठ और दूसरों को नियंत्रित करने योग्य समझती है, तब संघर्ष बढ़ते हैं। आज भी रूस–यूक्रेन युद्ध, इज़रायल–फिलिस्तीन संघर्ष, चीन–ताइवान तनाव, अमेरिका–चीन प्रतिस्पर्धा, मध्य-पूर्व के संकट और अफ्रीका में जारी गृहयुद्ध इस बात के प्रमाण हैं कि दुनिया लगातार अस्थिरता की ओर बढ़ रही है। युद्ध केवल मोर्चे पर नहीं लड़ा जाता; आज युद्ध के नए रूप सामने आए हैं — साइबर युद्ध, सूचना युद्ध, जैविक जोखिम, मिसाइल प्रतिद्वंदिता, अंतरिक्ष सैन्यीकरण और आर्थिक प्रतिबंधों की मार दुनिया को नए प्रकार के संघर्षों में धकेल रही है।
वैश्विक संघर्ष का सबसे बड़ा दुष्परिणाम है — अस्थिरता। जब किसी क्षेत्र में युद्ध, हिंसा, आतंकवाद या राजनीतिक संघर्ष बढ़ता है, तो वहाँ की आम जनता सबसे अधिक प्रभावित होती है। भोजन, पानी, दवाइयाँ, बिजली, शिक्षा और रोजगार जैसे बुनियादी अधिकार छिन जाते हैं। लोग अपने ही घरों से निकलकर शरणार्थी बनने को मजबूर होते हैं। पूरे क्षेत्र में सुरक्षा घटती है, अर्थव्यवस्था टूटती है, उद्योग बंद हो जाते हैं और सामाजिक ताना-बाना बिखर जाता है। यही अस्थिरता धीरे-धीरे पड़ोसी देशों तक पहुँचती है और फिर अंतरराष्ट्रीय तनाव का रूप ले लेती है।
अस्थिरता केवल युद्ध के कारण ही नहीं बढ़ती; राजनीतिक भ्रष्टाचार, कमजोर शासन, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, जलवायु परिवर्तन और बाहरी शक्तियों की दखलंदाजी भी अस्थिरता को जन्म देती है। उदाहरण के लिए, मध्य-पूर्व में तेल संसाधनों पर नियंत्रण की लड़ाई ने दशकों तक संघर्ष और अस्थिरता को जन्म दिया। अफ्रीका में उपनिवेशवाद के छोड़े गए घाव, गरीबी और बाहरी हस्तक्षेपें आज भी हिंसा को बढ़ावा देती हैं। एशिया में महाशक्तियों की प्रतिस्पर्धा देशों को हथियारों की होड़ में धकेलती है, जिससे अस्थिरता और बढ़ती है।
वैश्विक संघर्ष और अस्थिरता से विश्व अर्थव्यवस्था सीधे प्रभावित होती है। तेल, गैस, खाद्यान्न, धातु और व्यापार मार्गों पर युद्ध का असर विश्व बाज़ार को हिला देता है। रूस–यूक्रेन युद्ध से वैश्विक खाद्य संकट बढ़ा, गैस की कीमतें उछलीं और यूरोप ऊर्जा असुरक्षा का शिकार हुआ। एशिया में तनाव बढ़ने से वैश्विक सप्लाई चेन टूटती है, जिससे सभी देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। वैश्विक निवेश घटता है, मुद्रास्फीति बढ़ती है और बेरोजगारी का दायरा फैलता है। यह आर्थिक अस्थिरता ही सामाजिक अस्थिरता का कारण बनती है, जहाँ लोग भूख, ग़रीबी और असमानता के कारण विद्रोह और हिंसा की ओर बढ़ जाते हैं।
संघर्ष और अस्थिरता का प्रभाव केवल वर्तमान पर नहीं, बल्कि भविष्य पर भी पड़ता है। युद्ध शिक्षा को नष्ट करता है, जो अगली पीढ़ी को अज्ञानता और गरीबी के चक्र में धकेल देता है। पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है — जंगल जलते हैं, पानी प्रदूषित होता है, भूमि बंजर होती है और ग्रीनहाउस गैसें बढ़ती हैं। युद्ध का हर विस्फोट पृथ्वी पर जलवायु संकट को और गंभीर बनाता है। इस प्रकार वैश्विक संघर्ष मानव सभ्यता को दोहरी मार देता है — जीवन की हानि और भविष्य का विनाश।
मानव इतिहास बताता है कि जब भी दुनिया विचारधारा और शक्ति के आधार पर विभाजित हुई, तब गंभीर युद्ध हुए — जैसे प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, शीत युद्ध। आज दुनिया फिर से दो या तीन शक्तियों में बँटती दिख रही है। यह विभाजन जितना गहरा होगा, संघर्ष और अस्थिरता उतनी ही तेज़ी से बढ़ेगी।
लेकिन समाधान भी मौजूद हैं — अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वैश्विक संवाद, संयुक्त राष्ट्र की मजबूती, शांति वार्ता, आर्थिक साझेदारी, हथियारों पर नियंत्रण, गरीबी उन्मूलन और जलवायु संरक्षण। दुनिया को यह समझना होगा कि युद्ध से किसी का भला नहीं होता; जीतने वाला भी घायल होता है और हारने वाला भी। वैश्विक संघर्ष का अंत केवल शांति, न्याय, समानता और मानवता की भावना से ही संभव है।
अंततः वैश्विक संघर्ष और अस्थिरता मानवता के अस्तित्व पर एक बड़ा खतरा हैं। यदि हमने विज्ञान, तकनीक और बुद्धिमत्ता का उपयोग विनाश के बजाय निर्माण के लिए नहीं किया, तो भविष्य असुरक्षित हो जाएगा। मानवता को एक साथ खड़े होकर यह निर्णय लेना होगा कि दुनिया शक्ति से चलेगी या सह-अस्तित्व से। शांति कोई विकल्प नहीं — यह मानव सभ्यता की अनिवार्यता है। दुनिया तभी सुरक्षित होगी जब हम संघर्षों को रोकने और स्थिरता स्थापित करने की दिशा में सामूहिक रूप से कदम बढ़ाएँगे। यही वह मार्ग है जो मानवता को विनाश से बचाकर समृद्धि, प्रगति और शांति की ओर ले जा सकता है।
प्रकृति नमामि जीवनम्।
यह अंश हमारी पुस्तक सर्व साम्य अद्वैत प्रकृति चेतनवाद दर्शन — भाग 1 : नव सवित तत्व प्रकृतिवाद से लिया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य प्रकृति की सर्वोच्च सत्ता की स्थापना करके विश्व में शांति स्थापित करना है, ताकि धरती पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन में शांति बनी रहे, मनुष्य के जीवन में भी संतुलन और सौहार्द रहे, तथा सभी मनुष्य आपस में मिल-जुलकर अपने विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकें। हमारी प्रकृति से प्रार्थना है कि धरती पर स्थित प्रत्येक जीव सुखी रहे, स्वस्थ रहे।” आप भी चाहते हैं विश्व में शांति तो हमसे संपर्क करें।
जीमेल-: cosmicadvaiticconsciousism@gmail.com
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